
दिनांँक 20\ 03\2020 को
मैं नि:शब्द हूंँ|
कहने को बहुत बड़ा दिन है आज,
पर
फिर भी
मैं नि:शब्द हूंँ|
आज परिवर्तन की लोै जली है|
चारों दिशाओं में,
पर
फिर भी
मैं नि:शब्द हूंँ|
इतने दिनों का संघर्ष आखिरकार,
जीत में बदल ही गया|
पर
फिर भी
मैं नि:शब्द हूंँ|
स्त्रियों पर हो रहे अत्याचारों पर आखिरकार,
आज मौन नें विजय प्राप्त की
पर
फिर भी
मैं नि:शब्द हूंँ|
चाहती थी अपने व्यवहार, आदतों से,
लोगों की सोच बदल सकूंँ|
पर…. आज
एक वाक्या ने मेरी सोच को
ही
नि:शब्द कर दिया|
पापा के कहे इस कथन ने-
“अपने आशिक के साथ इत्ती रात फिल्म देखना किसने बताया”|
आश्चर्यचकित थी
मैं
पापा के इस कथन से|
पापा के इस कथन को और ज्यादा
भयाभय
भाई की सहमति ने बना दिया|
सुन कर भाई की सहमति
मेरे पांँव के तले
जमी ही खिसक गई|
हाय…………….|
किस दुनिया को बदलने चली थी,
मैं
यहाँ तो अपने घर का हाल ही बुरा है|
इसीलिए
आज 20\03\2020 के खुशी के अवसर पर
भी
मैं नि:शब्द हूंँ|
आर्ची सैनी