
These are feelings of Soldiers जो लौट के घर न आए….. तिरंगे में लिपट कर ,जाते-जाते बहुत सारी अनकही बातें कह गए…. (1) सैनिक की चाहत “चाहत तो बहुत […]

These are feelings of Soldiers जो लौट के घर न आए….. तिरंगे में लिपट कर ,जाते-जाते बहुत सारी अनकही बातें कह गए…. (1) सैनिक की चाहत “चाहत तो बहुत […]

एक बार भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता और साहित्य अकादेमी के संयुक्त साहित्य आयोजन में भाग लेने मैं कोलकाता गया हुआ था। कार्यक्रम शुरू होने के एक दिन पहले मैं अपने […]

सन् 1803 में इंशा अल्लाह खान कृत कहानी रानी केतकी की कहानी को हिंदी की पहली कहानी कहा जाता है। इसके बाद धीरे-धीरे इस कला में परिवर्तन होने लगा और […]

अहमद रॉय के निर्देशन में बनी ‘ द थॉट ऑफ़ यू ‘ ( The thought of you , perfect 10 winner at the mumbai film festival) फ़िल्म आज के समाज […]

संपादकीय डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय बातों – बातों में मैं उबलता हुआ पानी जिसे भाप बन कर ख़त्म होते रहना है (वरिष्ठ आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी जी से प्रियंका कुमारी की […]

समकालीन आलोचना जगत् में वरिष्ठ आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। एक आलोचक के साथ-साथ आप एक सफल सर्जक, इतिहासकार, गद्यकार एक कुशल अध्यापक और एक अच्छे शिष्य भी […]

सारांश आधुनिक हिंदी साहित्य के लेखकों में मुंशी प्रेमचंद जी अग्रणी माने जाते हैं। मुंशी प्रेमचंद जी उर्दू साहित्य में भी उतने ही प्रसिद्ध हैं जितने की हिंदी साहित्य में […]

बीसवीं सदी के मध्य से ही अँग्रेजी की साहित्यिक दुनिया में आधी आबादी के प्रश्नों को गंभीरता से जगह मिलने लगी। यह वह दौर था जब ‘उग्रवादी नारीवाद’ का तेजी […]

कहानी अपने विकसित रूप में 55 के आसपास दिखती है उस वक्त देश राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से ढेर सारी चुनौतियों गुजर रहा था। आज़ादी के बाद देश की […]

परिवार मानव समाज की सर्वाधिक प्राचीन छोटी किंतु सुसंगठित संस्था है। पति – पत्नी और उनकी संतान इसके निर्मायक होते हैं । वैश्विक सभ्यता और संस्कृति के विकास से प्रभावित […]