
दमनरहित संरचनाओं की विकल्पहीनता के दौर में एक विकल्प की तलाश पर हैं लेखक शचीन्द्र आर्य और उनकी याद की क़िताब। संभवतः यही कारण है कि विधा के हवाले से […]

दमनरहित संरचनाओं की विकल्पहीनता के दौर में एक विकल्प की तलाश पर हैं लेखक शचीन्द्र आर्य और उनकी याद की क़िताब। संभवतः यही कारण है कि विधा के हवाले से […]

जब भावनाएँ रुकती नहीं, थमती नहीं, बस बहते जाना है—अपरिमित परिधियों के पार, मन की सभी सीमाओं को पार कर, आकाश को नाप लेना है, नाप लेना है उसके ओर-छोर […]