
साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है। यदि इस नज़रिए से सिनेमा को देखा जाए तो सिनेमा को समाज की अन्तर्शिराओं में बहने वाले रक्त की संज्ञा दी जा […]
साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है। यदि इस नज़रिए से सिनेमा को देखा जाए तो सिनेमा को समाज की अन्तर्शिराओं में बहने वाले रक्त की संज्ञा दी जा […]
सारांश :– संचार एक ऐसी प्रक्रिया है जिसने भावों विचारों, तथ्यों, अनुभवों और दृष्टिकोण को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक सहभागिता हेतु प्रेषित किया जाता है। समाज की शैक्षिक, […]
आज के हिंदी भाषी दर्शकों का मलयालम फिल्मों से सबसे कम वास्ता रहा है। सोशल मीडिया पर पसरी इन आंख मारने की बेजा हरकतों से जुड़ने के अलावा उन्होंने वही […]
‘साहित्य समाज का दर्पण है।’ सिनेमा भी इसीप्रकार समाज और साहित्य का दर्पण है। सिनेमा एक ऐसा माध्यम है जिसकी पहुँच जन-जन तक है। इसके माध्यम से साहित्यिक कृतियों को […]
प्रस्तावना :- आधुनिक काल में मानव जीवन बहुत व्यस्त हो गया है उसकी आवश्यकताएं बहुत बढ़ गई है। व्यस्तता के इस युग में मनुष्य के पास मनोरंजन का समय […]
हिंदी सिनेमा के 100 वर्षों के इतिहास का अध्ययन करने पर पता चलता है कि पौराणिक कथाएँ हिंदी फिल्मों के कथानक के मुख्य स्रोत रहे हैं। खासकर रामायण और महाभारत […]
राजस्थान स्थानीय कलाकारों का प्रदेश कहलाता है। देश का यह सबसे बडा प्रदेश आज भी अपनी मिट्टी से जुड़ा दिखायी देता है। मारवाड़-मेवाड़ की अमर शौर्य गाथाओं के साथ यहां […]
पटकथा अर्थात परदे की कहानी, परदा बड़ा हो या छोटा यानि कि सिनेमा और टेलीविजन दोनो ही माध्यमो के लिए बनने वाली फिल्मों, धारावाहिकों आदि का मूल आधार पटकथा ही […]
1945 से 2010 तक अनवरत साहित्य साधना करने वाले श्रीलाल शुक्ल का लेखन काल लगभग 65 सालों का रहा है । आजादी के बाद के भारत के गांवो ,शहरों ,कस्बों […]
प्रस्तावना:- आधुनिक युग संचार तकनीकी का युग है। संचार माध्यमों के द्वारा ही इंसान हर खोज खबर को देख और पढ़ लेता है। आज इस कोरोना महामारी में लोगों का […]