सुशांत सुप्रिय जी की कविताएं

१. गिरना ———– बचपन में जब कभी मैं चलते–चलते गिर जाता तो दौड़े चले आते उठाने माँ–बाबूजी   किशोरावस्था में जब कभी चलाते हुए फिसल जाती मेरी साइकिल और गिर जाता मैं सड़क पर तो मदद करने आ जाते साथ चलते राहगीर   पर यह कैसा गिरना है कि कोई कितना भी उठाए उठ नहीं पाता मैं एक बार जो गिर गया हूँ अपनी ही निगाहों में     २.ग़लती ———— शुरू से ही मैं चाहता था चाँद–सितारों पर घर बनाना आकाश–गंगाओं और नीहारिकाओं की खोज में निकल जाना   लेकिन एक ग़लती हो गई आकाश को पाने की तमन्ना में मुझसे मेरी धरती खो गई […]

मजमाबाज (लघु-कथा) – संजय कुमार सिंह

देश की राजनीति में हर तरफ जादू हो रहा है। कोई लटक रहा है, तो कोई लटका रहा है।कोई उछल रहा है, तो कोई उछाल रहा है। गरीबी, भुखमरी, मँहगाई, […]

गौरीशंकर वैश्य विनम्र की कविता

गीतिका  ===== उर को चुराने वाले, ये नयन हैं तुम्हारे मदिरा पिलाने वाले, ये नयन हैं तुम्हारे लगती रहस्यमय है, मेंहदी रची हथेली सच को छिपाने वाले, ये नयन हैं […]

सुकून ( कविता) – संजय वर्मा “दृष्टि “

दिखावे की होड़ भी लगती मृगतृष्णा सी जब पैसों के पीछे भागता है इंसान। समय और पैसा जैसे रिश्तों से ज्यादा अहमियत रखता हो तभी दौड़ -भाग के खेल में […]

गोलेन्द्र पटेल की कविताएँ

1. तुम्हारे संतान सदैव सुखी रहें  सभ्यता और संस्कृति के समन्वित सड़क पर निकल पड़ा हूँ शोध के लिए झाड़ियों से छिल गयी है देह थक गये हैं पाँव कुछ […]

हायर सेकेंडरी – सतीश सम्यक

जाती हुई सर्दी का महीना था। यही कोई लगभग 3, 3:30 का वक्त था। इस वक्त सर्दी कम ही थी पर मैंने कोट पहन रखा था । क्योंकि जब सुबह […]

वंदना गुप्ता की कविताएं

1. कविता का पानी जब से मोड़ी है तुमने अपने शब्दों की दिशा ठीक मेरी आंखों के सामने से एक अगम भाषा की आंखें अपने अनूठे बिम्ब लिए घूरती है […]

केशव शरण की कविताएँ 

1. हवा का चलना, न चलना हवा न चल रही हो तो लाखों पेड़ कुछ नहीं कर सकते सिवाय सावधान की मुद्रा में निश्चल खड़े रहने के बुद्धू की तरह […]

राकेश धर द्विवेदी की कविताएं

1. भार तो केवल श्वासों का है स्वप्न जो देखा था रात्रि में हमने सुबह अश्रु बन बह किनारे हो गए हैं चांद और मंगल पर विचरने वाले हम आज […]

गोलेन्द्र पटेल की कविताएं

1. सफ़र सरसराहट संसद तक बिन विश्राम सफ़र करेगी ———————————————————- तिर्रियाँ पकड़ रही हैं गाँव की कच्ची उम्र तितलियों के पीछे दौड़ रही है पकड़ने की इच्छा अबोध बच्चियों का! […]