
१. गिरना ———– बचपन में जब कभी मैं चलते–चलते गिर जाता तो दौड़े चले आते उठाने माँ–बाबूजी किशोरावस्था में जब कभी चलाते हुए फिसल जाती मेरी साइकिल और गिर जाता मैं सड़क पर तो मदद करने आ जाते साथ चलते राहगीर पर यह कैसा गिरना है कि कोई कितना भी उठाए उठ नहीं पाता मैं एक बार जो गिर गया हूँ अपनी ही निगाहों में २.ग़लती ———— शुरू से ही मैं चाहता था चाँद–सितारों पर घर बनाना आकाश–गंगाओं और नीहारिकाओं की खोज में निकल जाना लेकिन एक ग़लती हो गई आकाश को पाने की तमन्ना में मुझसे मेरी धरती खो गई […]