संबंधों की बगिया (कविता) – डॉ. शारदा प्रसाद

संबंधों की बगिया है उजड़ी फूल-पत्ते भी चुप-चुप हैं बसंती बयार भी भटकी हुई सुख-बादल भी गुमसुम हैं!   नदी संवेदना की सूख गई उजड़े-उजड़े कूल-किनारे! सूखी नदी में नौका […]

वह लड़का – राहुल पाल

सूर्य देवता आग उगल रहे हैं, हवा का कहीं नामों-निशान नहीं और बह भी रही है, तो मंद मंद गति से पेड़-पौधे सब सूख गए, इस समय तो बरसात होने […]

“तपते रिश्ते” – ललिता द्विवेदी “लवनी”

आज मैंने सूरज को देखा,  आसमान में नहीं,तपती हुई सड़कों पर,  आँखों में चमक, सूखे ओंठ और मैले कपङों में। अपनी सारी कमाई अपने लाङले ग्रहों पर लुटाने वाला सूरज,  […]

बाल मन पर संस्कार…  – डॉ. जया सुभाष बागुल

बाल मन पर संस्कार हो नैतिक शिक्षा और मानवीयता के बाल मन पर संस्कार हो सच्चाई और ईमानदारी के साथ अपना कर्तव्य पूरा करने के   बाल मन पर संस्कार […]

संघर्ष (कविता) – खुशी मिश्रा

ये जो जीवन है, महज संघर्षों का पिटारा है। विनाश और विकास ये एक दूसरे का पूरक और  सहारा है। विनाश जहां है, विकास भी वहां निश्चय है। विकास जब […]

क्षणिकाएं – भावना सक्सेना

1 लिबर्टी का प्रतीक पत्थर है संगमरमर प्रेम का सदियों से स्थापित ये प्रतीक लगते हैं कितने बेमानी होती हूँ जब रूबरू इर्द गिर्द चलते-फिरते हौसले के जीवित प्रतीकों से। […]

कुमार सोनकरन का दोहार्द्धशतक

01. वे नरेन्द्र पशुतुल्य हैं, क्या ब्राह्मण क्या सूद। अन्तस में जिनके नहीं, मानवता मौजूद।। 02. खून माॅंस भी एक है , जाति योनि भी एक। फिर नरेन्द्र हैं क्यों […]

गोलेन्द्र पटेल की कविताएँ

1).  चोकर की लिट्टी मेरे पुरखे जानवर के चाम छिलते थे मगर, मैं घास छिलता हूँ मैं दक्खिन टोले का आदमी हूँ मेरे सिर पर चूल्हे की जलती हुई कंडी […]

आज का सुकरात – सन्तोष खन्ना

सूरज आज खुश था। उसने बी.ए.  की परीक्षा अच्छे नंबरों में पास कर ली थी । उसके घर वाले भी प्रसन्न थे । उसकी मां ने मेहनत- मज़ूरी कर सूरज […]

अंकित पाण्डेय की कविताएँ

1. घर दूर है साहब घर बहुत दूर है साहब पाँच मील पैदल एक कोस छकड़ा तो आधा साँस के सहारे जाएंगे ठंड है बदरी ऊपर सूखे पत्तन सी बिछी […]