
संपादकीय डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय बातों – बातों में अभिनेता अखिलेंद्र मिश्र से सहचर टीम की आत्मीय बातचीत शोधार्थी वैश्वीकरण की पृष्ठभूमि और ‘हंस’ की कहानियाँ – डॉ. संजीव […]
संपादकीय डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय बातों – बातों में अभिनेता अखिलेंद्र मिश्र से सहचर टीम की आत्मीय बातचीत शोधार्थी वैश्वीकरण की पृष्ठभूमि और ‘हंस’ की कहानियाँ – डॉ. संजीव […]
प्रश्न 1 – सर सबसे पहले हम यह जानना चाहेंगे कि बिहार से लेकर मुंबई की यात्रा आपने कैसे तय की ?अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में कुछ साझा […]
आजादी के पश्चात भारतीय समाज सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक रूप से सबसे अधिक 90 के दशक में प्रभावित होता है. वैश्वीकरण का यह दौर भारतीय समाज पर गहरा छाप […]
आधुनिकता के दौर में सब कुछ जल्दी-जल्दी बदल रहा है। किसी के मुताबिक ढलने का सोचो तब तक तो वह बदल जाता है। समझ नहीं आता बदलाव की ठावं और […]
बीसवीं शताब्दी में भारतीय राजनीति के क्षेत्र में सबसे प्रभावकारी नेता के रूप में मोहनदास करमचंद गांधी का उदय हुआ | भारतभूमि को स्वतंत्रता दिलाकर स्वराज्य स्थापित करने की मनीषा […]
जब संत काव्यधारा की बात चलती है तो हमारे सामने कबीर, रैदास आदि पुरुष संतों की छवि उभरकर आती है। हिन्दी साहित्य के अधिकांश आलोचकों ने संत साहित्य की आलोचना […]
वर्तमान परिदृश्य में मीडिया अभिव्यक्ति का अग्रणी माध्यम हो गया है। जिसमें सबसे अधिक चर्चित सोशल मीडिया है। सोशल मीडिया ने बहुत कम समय में अधिक गति धारण की है। […]
‘‘धरती खुशी मना तू बरसात आ गयी है जो बात कल न थी वह बात आ गयी है।’’ बरसात की पहली बूँद ज्यों धरती में समायी त्यों धरती सोधी खुशबू […]
“उन्होंने हाथ बढ़ा कर वह तस्वीर उतारी और दीवार पर पड़ जाने वाले उस दाग को देखने लगे, जो तस्वीर के कारण दीवार पर पड़ा था और अब तक तस्वीर […]
हिंदी भक्ति काव्य में ‘गिरधर गोपाल’ से अनन्य प्रेम करने वाली मीरा का स्थान महत्वपूर्ण है। वह भारत के कृष्ण भक्तों में एक प्रमुख स्त्री भक्त है। मीरा के सम्पूर्ण […]