
1. दीपक हिंदुस्तान हमारा है सबसे न्यारा, यथा संभव अलग पहचान दिलाना है। दौलत से बढ़कर है इंसानियत, खूबसूरत से रिश्ते को बचाना है। नहीं चाहत चाँद, सितारे पाने की, […]
1. दीपक हिंदुस्तान हमारा है सबसे न्यारा, यथा संभव अलग पहचान दिलाना है। दौलत से बढ़कर है इंसानियत, खूबसूरत से रिश्ते को बचाना है। नहीं चाहत चाँद, सितारे पाने की, […]
“अकंलजी , उठिए ,यह मेरी सीट है, यहाँ मैं रूमाल रखकर गया था । जो अब भी पड़ा है’’ । रामनाथजी ने चौंक कर पीछे देखा जब युवा लड़के ने […]
गाड़िया लोहार संदर्भः- उपर्युक्त कविता के माध्यम से मेवाड़ (राजस्थान) मुग़ल युद्ध में महाराणा प्रताप का साथ देने वाली एक जनजाति की वर्तमान दुःखद स्थिति का चित्रण किया गया है, […]
(1) एक आदिवासी की घोषणा… आदिवासी कह रहा है हमें नहीं चाहिए तुम्हारा विकास! नहीं चाहिए तुम्हारे कंक्रीट के जंगल! हमें नहीं चाहिए बोतल वाला पानी! तुम मत काटो हमारे […]
कुछ विद्यार्थी इन दिनों बेहद याद आते हैं। कुछ माह पहले मुझे टेल बोन फ्रैक्चर हुआ, डॉ० ने तीन माह के लिए बेड रेस्ट के लिए कहा। कॉलेज जॉइन करना […]
वर्तमान फेसबुक,वाट्सअप,इंस्ट्राग्राम ने टीवी,वीडियो गेम्स, रेडियो आदि को लॉकडाउन में चाहने लगे।कहने का मतलब है कि दिन और रात इसमें ही लगे रहते हैं । यदि घर पर मेहमान आते हैं […]
महेश कुमार केसरी ‘राज’ का कहानी-संग्रह ‘मुआवजा’ वर्ष 2020 में परिकल्पना प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित हुआ है, जिसमें कुल बारह कहानियाँ – आखिरी फैसला, सुरेश बाबू, किस्सा कोयलांचल का, […]
कोरोना वैश्विक महामारी के दौर में गुलाबो सिताबो पहली फ़िल्म बन गई है जो सीधा ओ टी टी प्लेटफॉर्म (अमेजन) पर रिलीज की गई है। अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना […]
संपादकीय डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय शोधार्थी सूरदास के काव्यलोक की प्रासंगिकता – अनिल कुमार बहुभाषिकता-एक समाज भाषावैज्ञानिक अध्ययन – बीरेन्द्र सिंह हिन्दी यात्रा साहित्य में स्त्री चेतना के स्वर – […]
हमारा देश और पूरा विश्व इस समय मुश्किल परिस्थितियों से गुज़र रहा है। कोरोना ने लगभग समूचे परिदृश्य को बदल दिया है।देश की आर्थिक स्थिति लॉकडाउन बढ़ने के साथ-साथ नाज़ुक […]