क्या अब गौरैयों की फ़िक्र नहीं – डॉ.अनुपमा श्रीवास्तव

बन कर रंगीन कठपुतली, क्यों नाच रही है शिक्षा? करने वाले प्रकृति की वंदना, आज अभिभूत, कर रहे अतिरंजना क्या मॉल – झोपड़ी एक समान, बना कर इंटरनेट वरदान? रेतीले […]

मेरा सपना ( कविता ) – ज्योति रावत

आज का मानव इंसान नहीं, इंसान के रूप में छिपा भेड़िया || डग-डग पर है खतरा-खतरा कब क्या हो जाये किस राह पर, वह हैवान तुम्हे मिल जाये | नोच-नोच […]

घर (कोरोना काल पर केन्द्रित लघुकथा) – बिद्या दास

आज वह दिन बहुत याद आ रहा है जब काम के लिए जाते समय डब्बा बांधते हुए रमा के चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। पता लग रहा था कि वह […]

समाज की उन्नति का पर्याय है स्त्री – डॉ० दीपा ‘दीप’

स्त्री को बेदिमाग या ‘इमोशनल फूल’ कहकर उसकी निंदा करना बहुत ही उपहासास्पद है। या यूं कहना कि उनमें दिमाग ही नहीं होता, यह केवल समाज की संकीर्ण मानसिकता ही […]

मलयालम के श्रेष्ठ कवि श्रीकुमारन तम्पि के कविताओं का अनुवाद – डॉ. प्रिया ए.

 (शीर्षकंगल इल्लात्त कवितकल – शीर्षकहीन कविताएं) (1)                                                […]

 सॉफ्ट कॉर्नर ( कहानी संग्रह, राम नगीना मौर्य ) – भोलानाथ कुशवाहा

                      मिडिल क्लास की रोजमर्रा की जिंदगी से  रूबरू कराती कहानियाँ कथाकार रामनगीना मौर्य का एक और कहानी संग्रह “सॉफ्ट कॉर्नर” […]

पंजाबी सिनेमा में महिलाओं की भूमिका – तेजस पूनिया 

बॉलीवुड की पहली फ़िल्म आलम आरा बनने के कुछ वर्ष बाद ही पंजाबी सिनेमा भी बनने लगा था। अगर बात करें पहली पंजाबी फिल्म की तो सबसे पहले पंजाबी भाषा […]

अनुक्रमणिका

संपादकीय  डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय शोधार्थी निर्गुण संत कवियों की संधा भाषा : परंपरा और प्रयोग – श्वेतांशु शेखर औपनिवेशिक सामाजिक-सांस्कृतिक संकट : हिन्दी कहानी और उदय प्रकाश – दीपक […]

निर्गुण संत कवियों की संधा भाषा : परंपरा और प्रयोग – श्वेतांशु शेखर

हिंदी साहित्य के इतिहास में भक्तिकाल को ‘स्वर्ण-युग’ का दर्जा प्राप्त है। भक्ति के आरंभ और विकास को लेकर अनेक मत प्रचलित हैं, लेकिन भारतीय साहित्य में भक्तिकाल के महत्व […]

औपनिवेशिक सामाजिक-सांस्कृतिक संकट : हिन्दी कहानी और उदय प्रकाश – दीपक कुमार जायसवाल

औद्योगिक क्रान्ति के आस-पास पूँजीवाद ‘व्यक्ति की स्वतंत्राता’ का नारा लेकर सामने आया। सामन्तवादी ढाँचे से मुक्ति तो हमने पायी लेकिन इस औद्योगिक क्रांति ने साम्राज्यवादी ताकतों की भूख बढ़ा […]