“एक अकेली बेकाम, बेफ़िक्र , बेटैम लड़की की  कहानी (आजादी मेरा ब्रांड,अनुराधा बेनीवाल ) – रीना

अनुराधा बेनीवाल द्वारा लिखी पुस्तक आजादी मेरा ब्रांड एक यात्रा वृतांत है। जिसमें लेखिका अकेले यूरोप के अन्य देशों की यात्रा करती है ।वह सिर्फ यात्रा ही नहीं करती बल्कि […]

देवी  : सिर्फ़ नाम की ? – निहारिका शर्मा 

प्रियंका बैनर्जी के निर्देशन में बनी “ देवी ” लघु फ़िल्म देवी शब्द पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए नज़र आती है । इस लघु फ़िल्म में मुख्य भूमिका निभाई है […]

अनुक्रमणिका

संपादकीय  डॉ. आलोक रंजन पाण्डेय बातों – बातों में  विदेशी पूंजी निवेश से भाषाई भगवाकरण का खतरा बढ़ा है मीडिया में (प्रख्यात कथाकार कमलेश्वर जी से मुहम्मद जाकिर हुसैन की बातचीत) […]

विदेशी पूंजी निवेश से भाषाई भगवाकरण का खतरा बढ़ा है मीडिया में (प्रख्यात कथाकार कमलेश्वर जी से मुहम्मद जाकिर हुसैन की बातचीत)

इंदिरा गांधी नहीं गायत्री देवी से प्रेरित होकर मैनें लिखी थी ‘आंधी’ बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी कमलेश्वर की 27 जनवरी को 14वीं पुण्यतिथि है। 6 जनवरी, 1932 को उत्तरप्रदेश के […]

त्रिलोचन की ‘धरती’ का बिम्ब विधान – कुमारी प्रीति मिश्रा

काव्य में अकथ्य की कथनीयता और मौन का निनाद वर्ण्य विषय के भावपक्ष को पुष्ट करने वाले प्रधान तत्व हैं। शायद यही कारण है कि कविता गोचर जगत के अन्तर्मन […]

मतिराम के काव्य में गार्हस्थ्य का चित्रण – ललिता शर्मा

रीति कविता राजाओं और रईसों के आश्रय में पली है। यह एक स्वात: प्रमाणित सत्य है की उनकी अन्तःप्रेरणा और स्वरूप को कवियों और उनके आश्रयदाता दोनों के संबंध से […]

भारतीय रंगमंच में स्त्रियों का प्रवेश – स्वाति मौर्या

आज रंगमंच के क्षेत्र में भारतीय स्त्रियों ने जो मुकाम हासिल किया है, वह उसे एकाएक नहीं प्राप्त हो गया बल्कि यह शिखर उसके कई वर्षों के संघर्षों का परिणाम […]

हिंदी नवजागरण क्या है? : मैं कहता तू जागत रहियो – डॉ. चन्दन कुमार

भारतीय इतिहास में 19वीं सदी को पुनर्जागरण, पुनरुत्थान, नवजागरण आदि नामों से अभिहित किया गया। डॉ॰ लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय और रामधारी सिंह दिनकर ने क्रमश: ‘नवोत्थान’ व ‘पुनरुत्थान’ नामकरण किया है। […]

आंचलिकता के महानायक फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ – डाॅ0 नीलू सिंह

फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ जी मुंशी प्रेमचन्द के बाद के युग में आधुनिक हिन्दी साहित्य के सबसे सफल और प्रभावशाली लेखकों में गिने जाते थे। किसी भी साहित्यकार पर लेखनी चलाने से […]

धर्म बनाम मानवता का छद्म रूप – घनश्याम कुमार

सही अर्थों में मनुष्य वही है जिसके मन में अन्य प्राणियों के प्रति दया का भाव हो तथा जो आजीवन धर्म के मार्ग पर अडिग रहे। मानवता ही मनुष्य की […]