
1. हवा का चलना, न चलना हवा न चल रही हो तो लाखों पेड़ कुछ नहीं कर सकते सिवाय सावधान की मुद्रा में निश्चल खड़े रहने के बुद्धू की तरह […]
1. हवा का चलना, न चलना हवा न चल रही हो तो लाखों पेड़ कुछ नहीं कर सकते सिवाय सावधान की मुद्रा में निश्चल खड़े रहने के बुद्धू की तरह […]
हिंदी सिनेमा ने सौ साल के सफर में व्यक्ति समाज से जुड़े भावों, सम्वेदनाओं, प्रेम, हिंसा, भक्ति, चरित्र, सौन्दर्य और ना जाने कितने ही रंगों को रजत पटल पर उकेरकर […]
भारतीय सिनेमा पूरी विश्व में जाना जाता है। पिछले दो दशकों में भारतीय सिनेमा में क्षेत्रीय फ़िल्मों की तादाद बढ़ी है। भूमंडलीकरण के साथ आई नई तकनीकी, सिनेमाघर और कला […]
आज़ादी की लड़ाई कोई एक आयामी नहीं थी। देश में छोटे से बड़े सभी स्तरों पर व्यक्तियों, संस्थानों और साहित्य के माध्यम से सभी अपना अक्षुण्ण योगदान दे रहे थे। […]
माननीय प्रधानमंत्री जी, भारत सरकार, आप देश को विकास के पथ पर ले जाने का संकल्प दोहनराते हैं, सबका साथ, सबका विश्वास एवं सबका विकास। श्रीमान प्रधानमंत्री जी, जिस प्रकार […]
सिनेमा मूक फिल्मों से होता हुआ श्वेत श्याम और रंगीन व थ्री डी तक आ पहुंचा है जिसमें मनोरंजन से होता हुआ सिनेमा विचारात्मक या प्रतिरोध का रूप ले चुका […]
साहित्य को समाज का दर्पण माना गया है, ठीक उसी तरह सिनेमा समाज का चित्रण करने वाला तकनीकी कलारूप है। देश के इतिहास निर्माण में सिनेमा का भी बड़ा योगदान […]
सिनेमा वर्तमान युग में समस्त कलात्मक अभिव्यक्ति के माध्यमों में सबसे सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। किसी भी जाति, धर्म, वर्ग के लोगों को सीधे प्रभावित करने में यह पूर्णतया […]
बंगाली फिल्मों के बारे में कुछ कहने से पहले मैं समझता हूँ, एक बार बांग्ला साहित्य के बारे में बात कर लेनी चाहिए। बांग्ला भाषा और साहित्य का काल विभाजन […]
समस्त प्रकृति परिवर्तनशील है। यदि इसमें समय-समय पर परिवर्तन ना हों तो इसकी एकरूपता, नीरसता बनकर रह जाएगी। प्रकृति के साथ साथ परिवर्तन का यह नियम समाज और सामजिक मूल्यों […]