पेड की पुकार – डॉ.पुष्पा गोविंदराव गायकवाड

भारतीय संस्कृति अतिथि देवो भव वाली है। संत तुकाराम महाराज ने 17वीं शताब्दी में सभी भारतवासियों के लिए बहुत ही बड़ा मौलिक संदेश दिया था। जो आज भी प्रासंगिक लगता […]

दोस्तोएवस्की का घोड़ा : एक संघर्षरत युवा और दृष्टा लेखक – आरती

दमनरहित संरचनाओं की विकल्पहीनता के दौर में एक विकल्प की तलाश पर हैं लेखक शचीन्द्र आर्य और उनकी याद की क़िताब। संभवतः यही कारण है कि विधा के हवाले से […]

स्त्री मन की उड़ान : एक मुक्त आकाश (डॉ. रजनी गुप्ता) – समीक्षक—डॉ. शारदा प्रसाद

जब भावनाएँ रुकती नहीं, थमती नहीं, बस बहते जाना है—अपरिमित परिधियों के पार, मन की सभी सीमाओं को पार कर, आकाश को नाप लेना है, नाप लेना है उसके ओर-छोर […]