प्रेम और सौन्दर्य के कवि : गिरिजाकुमार माथुर – सुदेश कुमार 

शोध सार :- नयी कविता के अत्यंत समर्थ आधार-स्तम्भ के रूप में कवि गिरिजाकुमार माथुर हैं जिन्होंने किसी वाद से प्रभावित होकर कविता की रचना नहीं की वरन युगीन मांगों […]

एक प्रश्नाकुल मनःस्थिति- चेक रचनाकार कारेल चॉपेक का कथा संसार – डॉ. मीनू गेरा

प्रस्तावना- बीसवीं शताब्दी के यूरोपीय साहित्यकारों ने अनुभवों और विचारों के धरातल पर वैविध्य के ऐसे संसार को खड़ा किया जिसने भौगोलिक सीमाओं को तो परिभाषित किया, चेतना के धरातल […]

मैथिलीशरण गुप्त कृत ‘साकेत‘ में भारतीय संस्कृति के विविध आयाम – कल्याण कुमार

संस्कृति किसी भी राष्ट्र की आधारशिला होती है। राष्ट्र रूपी वृक्ष का निर्माण संस्कृति रूपी बीज के प्रस्फुटन से ही होता है। राष्ट्र के भीतर समाहित समाज,परिवार और व्यक्ति के […]

महात्मा गांधी – बीसवीं सदी का नित्सियन महामानव – प्रशांत कुमार पांडेय

जब भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम की बात होती है, मोहन दास करमचंद गांधी का नाम बड़े इज्जत से लिया जाता है। पूरी दुनिया में जहाँ भी लोगों ने आजादी […]

शरद सिंह के उपन्यासों के संदर्भ में नारी-विमर्श – सपना

हिंदी-साहित्य में एक सुपरिचित और प्रतिष्ठित नाम है, ‘शरद सिंह’ जिन्होंने नारी की दसदिक् पीड़ाओ को अपने साहित्य के माध्यम से अभिव्यक्ति प्रदान की है। गद्य एवं पद्य की अनेक […]

कुमार सोनकरन का दोहार्द्धशतक

01. वे नरेन्द्र पशुतुल्य हैं, क्या ब्राह्मण क्या सूद। अन्तस में जिनके नहीं, मानवता मौजूद।। 02. खून माॅंस भी एक है , जाति योनि भी एक। फिर नरेन्द्र हैं क्यों […]

गोलेन्द्र पटेल की कविताएँ

1).  चोकर की लिट्टी मेरे पुरखे जानवर के चाम छिलते थे मगर, मैं घास छिलता हूँ मैं दक्खिन टोले का आदमी हूँ मेरे सिर पर चूल्हे की जलती हुई कंडी […]

आज का सुकरात – सन्तोष खन्ना

सूरज आज खुश था। उसने बी.ए.  की परीक्षा अच्छे नंबरों में पास कर ली थी । उसके घर वाले भी प्रसन्न थे । उसकी मां ने मेहनत- मज़ूरी कर सूरज […]

सफर  जासूसी उपन्यासों का – शैलेन्द्र चौहान

किशोरावस्था में रूमानी और जासूसी उपन्यास खूब पढ़े। साथ-साथ साहित्यिक पुस्तकें भी पढ़ता था। आज जब इन उपन्यासों की लोकप्रियता को याद करता हूँ तो सोचता हूँ बजाय इन्हें सिरे […]

 महिला योगदान: पुराणकाल से अब तक – डॉ. होशियार सिंह यादव

                       कभी पूजा उसको तो कभी ठुकराया है कभी पुरुष तो कभी नारी युग आया है। स्त्री एवं पुरुष समाज […]