
भूमिका- भारतीय वाङ्मय में रामकथा की परंपरा अति प्राचीन है। रामकथा सिर्फ भारत में ही नहीं वरन सारे भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण एशिया तथा मध्य एशिया तक विभिन्न रूपों में प्रचारित-प्रसारित होती […]
भूमिका- भारतीय वाङ्मय में रामकथा की परंपरा अति प्राचीन है। रामकथा सिर्फ भारत में ही नहीं वरन सारे भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण एशिया तथा मध्य एशिया तक विभिन्न रूपों में प्रचारित-प्रसारित होती […]
तुलसीदास जी भक्तिकाल की सगुण काव्यधारा के महाकवि हैं। इनका एकमात्र महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ है। इस महाकाव्य ने तुलसीदास जी को ‘अमर कवि’ के रूप में प्रसिद्ध करवाया है। ‘रामचरितमानस’ उनकी […]
राम के चरित्र पर आधारित जितने भी तेलुगु साहित्य के ग्रंथ उपलब्ध हैं उन सभी का मूल महर्षि वाल्मीकि कृत ‘वाल्मीकि रामायण’ ही है। रामचंद्र तेलुगु भाषी क्षेत्रों में हिंदुओं […]
1. मासूमियत —————– मैंने अपनी बाल्कनी के गमले में वयस्क आँखें बो दीं वहाँ कोई फूल नहीं निकला किंतु मेरे घर की सारी निजता भंग हो गई मैंने अपनी बाल्कनी के गमले में वयस्क हाथ बो दिए वहाँ कोई फूल नहीं निकला किंतु मेरे घर के सारे सामान चोरी होने लगे मैंने अपनी बाल्कनी के गमले में वयस्क जीभ बो दी वहाँ कोई फूल नहीं निकला किंतु मेरे घर की सारी शांति खो गई हार कर मैंने अपनी बाल्कनी के गमले में एक शिशु मन बो दिया अब वहाँ एक सलोना सूरजमुखी खिला हुआ है 2. जो नहीं दिखता दिल्ली से ——————————— बहुत कुछ है जो नहीं दिखता दिल्ली से आकाश को नीलाभ कर रहे पक्षी और पानी को नम बना रही मछलियाँ नहीं दिखती हैं दिल्ली से विलुप्त हो रहे विश्वास चेहरों से मिटती मुस्कानें […]
शहर सारा जंगल हो गया कोई नहीं उस जंगल में अब सब, शहर हो गया, जंगल, शहर बनता रहा, शहर, सारा जंगल हो गया। दरख़्तों की ऊँचाइयाँ गिर गई, पंछियों […]
भाग्य आवश्यकता है कर्म की, साहस और परिश्रम की भाग्य भरोसे मत रहना चलो राह अब श्रम की । बढ़ना जो चाहे आगे शुरुआत आज ही कर, जो पाना है […]
वसंत बयार वासंती बयार माधवी लता की कदमों को चूमने लगी है सरसों की पीली कलियों को नव यौवना नव युवती के कोमल किसलय तन-मन को । फूलवारी सरसों की […]
मैं नेता हूं मेरी कोई जाति नहीं होती और न ही मेरा कोई धर्म होता है फिर भी मंच पर जब चढ़ जाता हूं तो सबको बताता हूं कि मैं […]
यह वह दौर है, जब व्यक्तिवादी प्रवृत्तियों ने जीवन की सामुदायकिता को दरकिनार कर दिया है। मध्यवर्ग में पढ़ने की प्रवृत्ति बहुत कम दिखाई देती है, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विकास […]
हिंदी साहित्य अपने काव्य शिल्प, छंद विधान और पारंपरिक विधाओं से समृद्ध रहा है,लोक संस्कृति और साहित्य में ऐसे अनेक कवि हुए हैं जो सहज सरल रूप में कविता के […]