यशोधरा : समय सापेक्षता – डॉ. रूचिरा ढींगरा

भारतीय संस्कृति और भारतीयता के प्रखर उद्घोषक मैथिलीशरण गुप्त    (3 अगस्त 1886-12 दिसंबर 1964)  हिन्दी आधुनिक हिंदी साहित्य में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उनके द्वारा सृजित महत्वपूर्ण कृतियां हैं- […]

राकेशधर द्विवेदी की कविताएँ

गौरैया के हक़ में  गांव के चैपाल में चहकती गौरैया मीठे-मीठे गीत सुनाती गौरैया गुड़िया को धीरे से रिझाती गौरैया याद आज आती है हरे-भरे पेड़ों पर फुदकती गौरैया घर […]

चंगेज के बेटे (कहानी) – समीर कुमार

उनकी मूछें घनी एवं मोटी, आँखें गहरी काली, रंग बिल्कुल गोरा, ललाट उन्नत, कद पांच फुट दस इंच, वजन पच्चासी किलोग्राम और उम्र करीब चौबालिस साल थी | चूंकि, वह […]

सृष्टि भार्गव की कविताएँ

फ़रिश्ता चाँद का  हज़ारों गम हैं बिछुड़न के एक नगीना प्रेम का रात उजयाली करने आया एक फ़रिश्ता चाँद का स्वप्न सुंदर नयन मग्न और दरिया जो शाम का वक़्त […]

डॉ. अवधेश कुमार ‘अवध’ की कविताएँ

1. घातक जाल बिछाये हैं घर – बाहर या प्लॉंट सड़क, हर जगह मौत के साये हैं। हमने ही तो आँख मूँदकर, घातक जाल बिछाये हैं।। साफ सफाई रखकर के, […]

कड़वा सच (कविता) – नीरज त्यागी

दर्द  कुछ  इस  तरह किसी भी जीवन में घर कर जाता है। आँखो के आँशुओ को आँखो के घर से बेघर कर जाता है।। अँधेरे भी जीवन मे कुछ ऐसे […]

कच्चे नीम की निमोड़ी सावन जल्दी अईयो रे – डॉ. ममता सिंगला

मानव-जीवन पर प्रकृति के प्रत्येक व्यापार का अनुकूल एवं प्रतिकूल प्रभाव पड़ना अत्यंत स्वाभाविक है। बसंत ऋतु में प्रकृति के चुतन शृंगार से मानव-जीवन हर्षोल्लास से पूर्ण हो जाता है […]

मैत्रेयी पुष्पा का चाक: स्त्री पीड़ा और वि‍द्रोह का स्‍वर – रजनी पाण्डेय / डॉ. सुशीला लड्ढा / डॉ. सुनील कुमार तिवारी

मैत्रेयी पुष्‍पा का उपन्‍यास चाक जहॉं उनके उपन्‍यास इदन्‍नमम का प्रगति‍शील वि‍स्‍तार है, वहीं अपने में स्‍वतंत्र भी। गांव के समाज में नारी की पीड़ा तथा उसके संघर्ष को वर्णि‍त […]

गाय बिना गोदान – डॉ. अवधेश कुमार ‘अवध’

गोदान के संदर्भ में दो मुख्यत: बातें सामने आती हैं। एक 1936 में प्रकाशित मुंशी प्रेमचंद का जग जाहिर उपन्यास गोदान और दूसरा मत्यु के उपरान्त वैतरणी पार करने के […]

केदारनाथ अग्रवाल के काव्य में प्रकृति, आदमी और साहचर्य का सौन्दर्य – उषा यादव

केदारनाथ अग्रवाल की कविता सौन्दर्यबोध के संबंध में हिन्दी काव्य परम्परा में विशिष्ट प्रकार का प्रस्थानबिन्दु उपस्थित करती है। केदारनाथ अग्रवाल तथा अन्य प्रगतिशील कवियों की सौन्दर्य चेतना ने तो […]