बिनोद कुमार रजक की कविताएं

1. हिन्द के बाग में  ये कौन आया? हिन्द के बाग में यह कदम किसके है? किसके नेत्र उठे हैं? किसमें जगी ज्वालामुखी जैसी अग्नि हिन्द के खिलाफ में पहचान […]

लव कुमार लव की कविताएं

ढलती शाम दूर कहीं किनारे पर अकेला बैठा है कोई मार रहा है पत्थर पानी पर एक­एक कर झांकता है कभी दूर पहाड़ी के उस पार मन में लिए कुछ […]

साॅफ्टवेयर ( कहानी) – मनोज शर्मा

एक सूनी धूप में जब सब अपने अपने दफ़्तर के या दूसरे काज़ में व्यस्त रहते हैं इक्का दुक्का लोग ही सड़कों पर दिखते हैं पर शाम होते होते सड़क […]

डॉ. संजीव कुमार विश्वकर्मा की पाँच कविताएं

1. दीपक हिंदुस्तान हमारा है सबसे न्यारा, यथा संभव अलग पहचान दिलाना है। दौलत से बढ़कर है इंसानियत, खूबसूरत से रिश्ते को बचाना है। नहीं चाहत चाँद, सितारे पाने की, […]

शर्मिन्दगी  (लधुकथा) – केदारशर्मा ’निरीह’

“अकंलजी , उठिए ,यह मेरी सीट है, यहाँ मैं रूमाल रखकर गया था । जो अब भी पड़ा है’’ । रामनाथजी  ने चौंक कर पीछे देखा जब युवा लड़के ने  […]

रंजीत कुमार त्रिपाठी की कविताएं

गाड़िया लोहार  संदर्भः- उपर्युक्त कविता के माध्यम से मेवाड़ (राजस्थान) मुग़ल युद्ध में महाराणा प्रताप का साथ देने वाली एक जनजाति की वर्तमान दुःखद स्थिति का चित्रण किया गया है, […]

महेश कुमार केशरी की पाँच कविताएं

(1) एक आदिवासी की घोषणा… आदिवासी कह रहा है हमें नहीं चाहिए तुम्हारा विकास! नहीं चाहिए तुम्हारे कंक्रीट के जंगल! हमें नहीं चाहिए बोतल वाला पानी! तुम मत काटो हमारे […]

बात जो दिल को छू गयी – डॉ० दीपा

कुछ विद्यार्थी इन दिनों बेहद याद आते हैं। कुछ माह पहले मुझे टेल बोन फ्रैक्चर हुआ, डॉ० ने तीन माह के लिए बेड रेस्ट के लिए कहा। कॉलेज जॉइन करना […]

जान है तो जहान है  (व्यंग) – संजय वर्मा”दृष्टि”

वर्तमान फेसबुक,वाट्सअप,इंस्ट्राग्राम ने टीवी,वीडियो गेम्स, रेडियो आदि को लॉकडाउन में चाहने लगे।कहने का मतलब है कि दिन और रात इसमें ही लगे रहते हैं । यदि घर पर मेहमान आते हैं […]

‘मुआवजा’ श्रमिक-शोषण का दस्तावेज है (महेश कुमार केसरी) – देवचंद्र भारती ‘प्रखर’

महेश कुमार केसरी ‘राज’ का कहानी-संग्रह ‘मुआवजा’ वर्ष 2020 में परिकल्पना प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित हुआ है, जिसमें कुल बारह कहानियाँ – आखिरी फैसला, सुरेश बाबू, किस्सा कोयलांचल का, […]