
सृष्टि निर्माण में पुरुषों के समक्ष स्त्रियों का भी बराबर का योगदान रहा किन्तु समाज निर्माण के क्रम में पुरुषों द्वारा स्त्रियों को उचित स्थान प्राप्त नहीं हुआ । विदित […]
सृष्टि निर्माण में पुरुषों के समक्ष स्त्रियों का भी बराबर का योगदान रहा किन्तु समाज निर्माण के क्रम में पुरुषों द्वारा स्त्रियों को उचित स्थान प्राप्त नहीं हुआ । विदित […]
भारतेंदु हरिश्चंद्र का साहित्य मोटे तौर पर सन् 1858-1885 के बीच एक ऐसे ऐतिहासिक काल की उपज है, जिसके एक छोर पर भारतीय किसानों और सिपाहियों का राष्ट्रीय विद्रोह था, […]
आदिवासियत भी वह मोह जाल है, जो प्रकृति की गोद में अपनी आँख मूंदे पड़ा रहना चाहता है | उस अनुभूति में भी अपनेपन का सुख है | वही अनुभूति […]
किसी भी संरचनागत, सांस्थानिक, सामाजिक व्यवस्था के अंतर्गत उपयोगिता, नैतिकता और औचित्य सहगामी के रूप में कार्य करते दृष्टिगत होते हैं और इसी आधारशिला पर नैतिक रूप से इतरलिंगी यौन […]
अरूण कमल समकालीन हिंदी कविता के एक सशक्त हस्ताक्षर है | हिंदी कविता में जिन रचनाकारों ने समकालीन रचनाशीलता को एक कोटि के तौर पर स्थापित किया, अरूण कमल उनमें […]
समकालीन समाज में विज्ञापन की दुनिया ने स्त्री की एक नयी तस्वीर बनाई है, जिसमें नारी को एक ओर सशक्तीकरण की ताकत भी मिली है तो साथ ही उसे उपकरण […]
हिंदी भक्ति-साहित्य के अध्ययन क्षेत्र में परशुराम चतुर्वेदी की साहित्य साधना बहुत ही अनुकरणीय एवं श्लाघ्य है। वे साहित्य के क्षेत्र में एक रत्न के समान हैं, जिसके आलोक में […]
प्रारूप भारत एक बहुसांस्कृतिक, बहुधार्मिक देश है और भारतीय संस्कृति के निर्माण में जहाँ सामाजिक, राजनीतिक आन्दोलनों का महत्त्व रहा है वहीं भक्ति आन्दोलन की भूमिका भी अपना महत्वपूर्ण […]
जर्मन दार्शनिकों, कवियों, साहित्यकारों, कलाकारों और धार्मिक लोगों के लिए इटली (विशेष रूप से इटली का दक्षिणी हिस्सा) हमेशा से एक महत्वपूर्ण देश रहा है। सदियों से जर्मन विद्वान इस […]
वस्तुतः मानवाधिकर वे अधिकार हैं जो प्रत्येक मानव को मानव होने के नाते सामाजिक वातावरण में रहते हुए जीवन में विकास एवं उत्कर्ष के लिए प्राप्त होते हैं। मानव अधिकारों […]