धर्म आसक्ति और ध्यान – बहन कुसुम

हर दिन कुछ मिनट बड़ा बदलाव ला सकते हैं। सामान्यतः लोगों के लिए अपने दिन से समय निकालना मुश्किल होता है लेकिन हमें इस तरह की अनावश्यक बहानों से बचना […]

डायरी लेखन और हिन्दी साहित्य – मनोज शर्मा

हिंदी साहित्य और डायरी लेखन का आरंभ भामह नाम के आचार्य ने ‘सहित’ शब्द का प्रयोग 6 वीं शताब्दी में पहली बार किया था,उनके अनुसार जो कुछ भी रचनाएं कविता,पद्य,गद्य […]

कच्चे नीम की निमोड़ी सावन जल्दी अईयो रे – डॉ. ममता सिंगला

मानव-जीवन पर प्रकृति के प्रत्येक व्यापार का अनुकूल एवं प्रतिकूल प्रभाव पड़ना अत्यंत स्वाभाविक है। बसंत ऋतु में प्रकृति के चुतन शृंगार से मानव-जीवन हर्षोल्लास से पूर्ण हो जाता है […]

मैत्रेयी पुष्पा का चाक: स्त्री पीड़ा और वि‍द्रोह का स्‍वर – रजनी पाण्डेय / डॉ. सुशीला लड्ढा / डॉ. सुनील कुमार तिवारी

मैत्रेयी पुष्‍पा का उपन्‍यास चाक जहॉं उनके उपन्‍यास इदन्‍नमम का प्रगति‍शील वि‍स्‍तार है, वहीं अपने में स्‍वतंत्र भी। गांव के समाज में नारी की पीड़ा तथा उसके संघर्ष को वर्णि‍त […]

गाय बिना गोदान – डॉ. अवधेश कुमार ‘अवध’

गोदान के संदर्भ में दो मुख्यत: बातें सामने आती हैं। एक 1936 में प्रकाशित मुंशी प्रेमचंद का जग जाहिर उपन्यास गोदान और दूसरा मत्यु के उपरान्त वैतरणी पार करने के […]

केदारनाथ अग्रवाल के काव्य में प्रकृति, आदमी और साहचर्य का सौन्दर्य – उषा यादव

केदारनाथ अग्रवाल की कविता सौन्दर्यबोध के संबंध में हिन्दी काव्य परम्परा में विशिष्ट प्रकार का प्रस्थानबिन्दु उपस्थित करती है। केदारनाथ अग्रवाल तथा अन्य प्रगतिशील कवियों की सौन्दर्य चेतना ने तो […]

टीवी में दृश्य नहीं बोलते ! – डॉ. कुमार कौस्तुभ

‘टीवी में दृश्य नहीं बोलते’- यह पढ़कर आपको अटपटा लग रहा होगा, आपको कुछ अजीब लग रहा होगा क्योंकि टीवी यानी टेलीविजन तो दृश्य माध्यम ही है जिसमें चलती-फिरती-घूमती तस्वीरें […]

संगम से सारनाथ – कृष्णानंद

भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास में इलाहाबाद का स्थान कुछ गिने-चुने नामों में आता है|प्राचीन धार्मिक इतिहास में इसे देवराज प्रयाग कहा जाता रहा है|गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती का […]

रामगढ़ की गुड़िया – पूर्णिमा वत्स

उत्तराखंड के पहाड़ों के बीच एक जगह थी रामगढ़ …रामगढ़ माने तल्हा से मलहा तक की दुनिया …ऊंचाई से निचाई का संयोग…जीवन से बर्फ़ का मिलन और बर्फ़ से गर्माहट […]

आखिरी दुआ – शिवांजलि पांडेय

कथा जनवरी महीने के पूर्वार्ध की है। दिनचर्या के अनुसार सबेरे पास के रेलवे स्टेशन के ओर दौड़ने गयी थी। नित्य की भाँति सबकुछ सामान्य था । रेलवे – स्टेशन […]