नजदीक (कविता) – संजय वर्मा “दृष्टि”

यूँ लब  थरथराने लगे तुम जो मेरे नजदीक आए महकती खुशबू जो महका गई तुम जो मेरे नजदीक आए नजरें ढूंढती रही  हर दम  तुम्हे तुम जो मेरे नजदीक आए […]