महाकवि निराला की काव्य भाषा के विविध स्त्रोत – डाॅ. सुनील कुमार तिवारी

भाव और भाषा का अविच्छिन्न सम्बन्ध साहित्य सर्जना का मुख्य उपादान और लक्षण है। आशय की अनुरूपता के साथ भाषा का स्वरूप विधान कविता की भाषा योजना का मुख्य नियामक […]

हिंंदी का प्रशासनिक परिदृश्य – डॉ. ममता सिंगला

शताब्दियों की गुलामी से मुक्त होकर स्वतत्रंता के पचास वर्ष पूर्ण होने के पश्चात् जब हम हिन्दी की स्थिति पर विचार-चिन्तन करते हैं तब ज्ञात होता है कि अंग्रेजी के […]

मोहन राकेश की नाट्य-कला :डॉ. साधना शर्मा

हिंदी नाटक के क्षितिज पर मोहन राकेश का उदय नाटक और रंगमंच दोनों दृष्टियों से श्रेयस्कर था। उन्हें आधुनिक हिंदी नाटकों के अग्रदूत के रूप में पहचाना जाता है। लीक […]

प्राचीन भारतीय शिक्षा व्यवस्था एवं नालंदा विश्वविद्यालय की पृष्ठभूमि – अंशु कुमारी

बौद्ध दर्शन में महायान सम्प्रदाय का हीनयान सम्प्रदाय की तुलना में अत्यधिक महत्व था। बौद्ध धर्म में महायान सम्प्रदाय के बहुत बड़ी संख्या में अनुयायी थे। महायान धर्मावलम्बी देवी देवताओं […]